Tuesday, May 9, 2017



सेल्फ अवेरनेस के ऊपर नाटक

दिलीप समयसर आकर अपना काम अपने टेबल पर कर रहा हे.
रमेश दिलीप को चाय देता हे

दिलीप : रमेश, ये आनंद अभी क्यों नहीं आया?
रमेश : जाने दीजिये ना सर, वो कहा टाइम पर आते हे, उनका तो हमेशा यही होता हे ओर देखना वो आते ही एक नया बहाना सुनायेंगे.
तभी आनंद भागते हुए, घडी को देखते हुए आता हे और पंच करके अपनी सिट पर बेठ जाता हे.
दिलीप : अरे आनंद तू आज फिर लेट हो गया?
आनंद : क्या बताऊ दिलीप, में ये ट्राफिक से पपरेशान हो गया हु. में 9 बजे से घर से निकला हु लेकिन ये ट्राफिक के कारण से दस बजे पहुचा हु.
रमेश चाय लेकर आनंद को देता हे.
आनंद : अरे यह कैसी चाय बनाई है? इसमें ना चाय पत्ती है ना शुगर है. यह तो बिल्कुल ही ठंडी है, ऐसी चाय में कैसे पियूं?
रमेश :  अरे साहब इतने दिनों से मैं चाय कितने लोगों को सर्व कर रहा हूं आज तक किसी ने कम्प्लेन नहीं किया, लेकिन आप तो डेली कम्प्लेन करते हो. अभी मैंने दिलीप सर को चाय सर्व किया, लेकिन उन्होंने तो कुछ भी नहीं कहा. आपको ही हमेशा कुछ न कुछ प्रॉब्लम होता है.
आनंद : अरे तो क्या मैं झूठ बोल रहा हूं?
रमेश : अरे साहब मेरे कहने का वह मतलब नहीं था.
आनंद : अरे हा हा, आपकी यह स्टोरी हररोज सुनकर मैं पक चूका हूं, ऐसी ठंडी चाय में नहीं पी सकता. चलो जाओ यहां से.

दिलीप  : फोन पर : अरे कमलेश 10:30 हो गए हैं, कहां हो तुम कल तो तय किया था ना कि 10:00 बजे मीटिंग करना है. मैं कितनी देर से तुम्हारी राह देख रहा हूं. ऐसा थोड़ी ना होता है. मुझे बहुत सारे काम करने हे और आप की एक मीटिंग का कोई ठिकाना नहीं. ये मीटिंग न हुई तो मेरे पुरे दिन का शेड्यूल डिस्टर्ब हो जायेगा. आप अभी मुझे कोई बहाना मत सुनाइए ओर आधे घंटे में मीटिंग रूम नंबर 3 में आ जाइये.

रमेश : अरे साहब वह सब छोड़ दो, अभी मुझे बताओ की पिछले महीने के बिल का क्या हुआ? बस आप का ही पेमेंट आना बाकी है आज तो २७ तारीख हो गई.
आनंद : अरे आप फिर से शुरू हो गए अभी तक तो मैंने ऑफिस की फाइल भी नहीं खोली है

दिलीप  : फोन पर : अरे कपिलभाई, आज फिर से सिस्टम डाउन हो गया.  कल ही तो आप आए थे और सिस्टम चेक करके गए थे. अब ना को ईमेल आता है ना यहां से कोई इमेल जा रहा है ऐसे थोड़ी ना होता है.  अब मैं पूरे दिन का काम कैसे करूंगा?  आपकी वजह से मेरा पूरा काम पेंडिंग रह गया.  आपको तो पता ही है कपिलभाई की यह सिस्टम के ऊपर हि हमारा पूरा काम डिपेंड है, without system we can’t do anything. So please do something urgently and arrange to start it quickly.

रमेश : साहब आपने फ़ाइल् खोली क्या?
आनंद : अरे मैं क्या यहां शादी में आया हूं? क्या अब तुम मुझे काम करना सिखाओगे?
रमेश : अरे साहब क्यों नाराज होते हो चलो मैं आपके लिए गरमागरम चाय लेकर आता हूं
दिलीप  : फोन पर : हेलो समीर स्टाफ मीटिंग में सभी लोग आ गए हैं ना एक बार जरा देख कर बताना. अरे वह दो लोग क्यों नहीं आए हैं, यह मीटिंग तो सबके लिए है. आनंद तुमने सतीश को बताया हे न की आज मीटिंग हे.
आनंद : तुमने कहा मुझे कहथा की मुझे उनको बतान हे ?
दिलीप  : लेकिन तुमे पता तो थाना की आज मीटिंग हे. चलो रहेने दो, I will do something.
आनंद (रमेश से): तू क्यों इधर खड़ा हे, तुजे और कोई काम धंधा नहीं जो पूरा दिन यही खड़ा रहेता हे, चल जा यह से.
रमेश : (अपने आप से बाते करते हुए) : ये कोन से चिड़ियाघरमें में फंस गया हु, यहा लोगोको खुदका तो पता नहीं और दूसरो की गलती निकलने चले हे. एक को अपनी मीटिंग पड़ी हे और दुसरे को अपने हरोज के बहाने की पड़ी हे. भगवान बचाए इन लोगेसे, भगवान भगवान......



ट्रेनिंग के बाद

आनंद समय से पहेले आकर अपना काम अपने टेबल पर कर रहा हे.
रमेश आनंद के पास जाता हे और चाय देता हे

रमेश : आनंद सर, आप केसे इतने जल्दी आ गए हे. अभी तो साडे नों भी नहीं हुए.
आनंद : क्या में कभी टाइम पर ऑफिस नहीं आ सकता?
रमेश : आ सकते हे न सर, लेकिन आप टाइम से पहेले आ गए इस लिए मुझे हेरानी होती हे.

तभी दिलीप आता हे

दिलीप : अरे आनंद, आज किस दिशामे सूरज निकला हे? आज तुम मुजसे भी पहेले आ गए? Very amazing Anand!

आनंद : दिलीप, मेने अभी जान लिया हे की केसे काम करना हे, कौनसे काम को किस तरीके से करना हे.
दिलीप : अरे वह आनंद, मुझे लगता हे की ये वो ट्रेनिंग का असर हे.

रमेश : दिलीप सर आपकी चाय.

आनंद : सही बात कही दिलीप, अब में कोई भी काम करने से पहेले अपने आपसे 3 व्हाय पुछ लेता हु.

तभी दिलीप को फोन आता हे

दिलीप : एक्सक्यूज मी आनंद, सर आज 10 बजे मीटिंग हे, और अजेंडा मेने आपके टेबल पर रखा हे, सब लोग आने के बाद में आपको कोल करता हु.

आनंद : रमेश ये ले इस महीने का बिल और ये आनेवाले महीने का बिल एडवांस में

रमेश : अरे वाह सर, आनेवाले महीने का बिल एडवांस में, क्या बात हे सर, कोई लोटरी लगी हे क्या, आप एडवांस दे रहे हो?

आनंद : अरे नही भाई, अब मेने प्लानिंग सिख ली हे.

तभी दिलीप को कोल आती हे

दिलीप : फोन पर : एक्सक्यूज मी, हा कपिलभई बोलिए, प्रिंटर का मॉडल बतावु? जी लिखिए, एच.पी. एम. 128 और हा उसकी दो रिफिल लाना.

आनंद : दिलीप प्रिंटर की दो रिफिल मंगवाई?
दिलीप : हा आनंद, इस बार काफी रिपोर्ट की प्रिंट करना हे और बिच में रिफिल ख़तम हो गयी तो? इसी लिए दो मंगवाई हे, काम रुकना नही चाहिए.

आनंद : दिलीप, काम से याद आया की मेने सतीश और कमलेश को आज की मीटिंग के बारे में बता दिया हे तुम पी.पी.टी. रेडी करके मीटिंग रूम में पहोचो में उनको रिमायंड करवाता हु.

दिलीप : अरे आनंद तुम तो काफी बदल गए हो यार, और इतने जिम्मेदार भी लग रहे हो.

आनंद : थेंक यु दिलीप, मगर मेने अब अपने आप को ‘ना’ कहना सिख लिया हे, ये उसका ही फल हे.

तभी दिलीप को फोन आता हे

दिलीप : एक्सक्यूज मी, हा भाई आपका काम हो जायेगा, मेने अभी वो फ़ाइल आनंद को दी हे वो उसे चेक करके आपको जल्दी ही जवाब देंगे (तभी आनंद से पुछते हे) आनंद वो काम कब तक होगा?

आनंद : शाम तक हो जायेगा.
दिलीप फोन पर : आपको आज शाम तक फ़ाइल मिल जाएगी.

रमेश : अरे ये क्या हो गया सबको? सब लोग न चिल्लाते हे न जगडते हे, कही में कोई दूसरी ओफिस में तो नही आ गया ना?